ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में क्या अंतर है?, । Traditional Marketing Vs Digital Marketing In Hindi

ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में क्या अंतर है? (Traditional Marketing Vs Digital Marketing In Hindi) : कोई भी व्यवसाय और उसका उत्पाद या सेवाये कितना भी बढियाँ क्यों न हो, जब तक उपभोक्ताओं तक उसकी जानकारी नहीं पहुंचायी जाती है,  कुशल तरीके से बिक्री करना कठिन होता है। इन कारणों से हम प्रचार ( मार्केटिंग )  का सहारा लेते हैं।  अब प्रचार करने के लिये हमारे पास दुविधा उत्पन्न हो जाती है कि प्रचार के लिये ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में से कौन से तरीके हम अपनाये

चयनकी प्रक्रिया को को सरल बनाने के लिये सबसे पहले हमें, ट्रेडिशनल मार्केटिंग क्या है? डिजिटल मार्केटिंग क्या है?, और ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में क्या अंतर है? (Traditional Marketing Vs Digital Marketing In Hindi) के बारे में जानने की आवश्यकता है।

इसके अतिरिक्त इस लेख में हम पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing)) के प्रमुख तरीके क्या  है?, पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के  उद्देश्य, लाभ व नुकसान क्या हैं? साथ ही पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) व डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) में कौन सा तरीका अपनाना चाहिये?

को विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त कर मार्केटिंग के सही तरीकों का चयन करेंगे।  डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing से जुड़ी जानकारी के लिये पढ़ें

डिजिटल मार्केटिंग से अपने बिजनेस का प्रचार करें,। 2023 में बिजनेस में प्रतिस्पर्धी से आगे निकलने का बेस्ट तरीका । डिजिटल मार्केटिंग

Table of Contents

ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में क्या अंतर है?

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) और  डिजिटल मार्केटिंग में अंतर जानने से पहले हम जान लेते हैं कि पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) क्या है? और डिजिटल मार्केटिंग क्या है?

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) क्या है?, Traditional Marketing meaning इन हिंदी

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) को औफलाइन प्रचार भी कहा जाता है। पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) में ग्राहकों को आकर्षित करने व अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये अखबारो मे विज्ञापन , बैनर, पोस्टर, स्क्रीन डिस्प्ले, अखबार वेन्डरो द्वारा पैम्प्लेट, बिल्लस, ब्रोसर  आदि बंटवाकर, बिजनेस कार्ड आदि द्वारा लोगों का ध्यान आकर्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्त Radio, टेलीविजन पर एड का प्रसारण करवाकर या स्थानिय शहरों के चौराहे, सार्वजनिक जगहो पर वीडियो डिस्प्ले द्वारा उत्पादोन व सेवाओं का प्रचार किया जाता है।

डिजिटल मार्केटिंग क्या है?, इंटरनेट मार्केटिंग या ऑनलाइन मार्केटिंग क्या है?

डिजिटलमार्केटिंग   को  ऑनलाइन मार्केटिंग, इ मार्केटिंग  या इंटरनेट मार्केटिंग भी कहा जाता है। यह बिजनेस के प्रचार का आधुनिक तरीका है जिसमें डिजिटल साधनो यथा कम्प्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट, मोबाइल, सर्च ईजिन आदि का , का इस्तेमाल करके सेवाओं अथवा उत्पादों को प्रोमोट  किया जाता है।

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) Vs  डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) हिंदी में | Traditional Marketing Vs Digital Marketing In Hindi

पारंपरिक प्रचार

(Traditional Marketing)

डिजिटल मार्केटिंग

(Digital Marketing)

ट्रेडिशनल मार्केटिंग, बिजनेस के प्रचार का पारम्परिक तरीका है जिसमें भौतिक साधनों अथवा व्यक्तिगत सम्पर्क  द्वारा सेवाओं अथवा उत्पादों को प्रोमोट  किया जाता है।

 

डिजिटल मार्केटिंग को  ऑनलाइन मार्केटिंग  या इंटरनेट मार्केटिंग भी कहा जाता है। यह बिजनेस के प्रचार का आधुनिक तरीका है जिसमें डिजिटल साधनो यथा इंटरनेट, मोबाइल, सोशल मीडिया आदि का इस्तेमाल करके सेवाओं अथवा उत्पादों को प्रोमोट  किया जाता है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग, खर्चीला होता है।डिजिटल मार्केटिंग बहुत ही किफायती होता है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में काफी ज्यादा समय और श्रम लगता है।डिजिटल मार्केटिंग बहुत कम समय लेता है और यह थोडे से प्रयास, जिसे घर या ऑफिस से भी किया सकता है, में सम्पादित हो जाता है
ट्रेडिशनल मार्केटिंग को एक सीमित ग्राहको या एरिया तक ही सीमित रखा जा सकता है। अतः सीमित ग्राहकों तक पहुंच बना पाते हैं।डिजिटल मार्केटिंग को बड़े विस्तार यहाँ तक की वैश्विक स्तर तक भी किया सकता है। अतः ग्राहकों के बड़े समुदाय को टार्गेट किया जा सकता है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग का प्रभाव धीमा होता है और इसके प्रभावो को जानने के लिये उत्पादो या  सेवाओ के विक्रय तक इंतजार करना पडता है।डिजिटल मार्केटिंग का शीघ्र प्रभाव होता है साथ ही इसके प्रभावो का आकलन संचार माध्यमो में उप्लब्ध टूल्स की सहायता से  तुरन्त प्राप्त हो जाता है।
धीमी प्रक्रिया होने के कारण ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ब्रांड वैल्यू बनने में काफी समय लगता है।डिजिटल मार्केटिंग की मदद से किसी उत्पाद अथवा  ब्रांड की वैल्यू बहुत तेजी से बन जाता है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में प्रचार सामग्री के बदलाव होने पर काफी खर्चा उठाना पड जाता है।डिजिटल मार्केटिंग में प्रचार सामग्री में बदलाव बहुत ही कम कीमत में कुछ घंटों में ही  किया जा सकता है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में संचार एकतरफा होता है एवम ग्राहक की प्रतिक्रिया के बारे में हमें उत्पादो के वास्त्विक विक्रय पर ही पता चल पाता है।डिजिटल मार्केटिंग में  दोतरफा संचार की सुविधा व ग्राहक प्रतिक्रिया के साधन होते हैं।  इससे सेवाओं अथवा  उत्पादो और विपणन प्रक्रिया  में समय के साथ सुधार की गुंजाईश मिल जाती है।
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में समूह विभाजन व उसके अनुसार विज्ञापन बनाने की गुंजाईश नहीं रह जाती है।डिजिटल मार्केटिंग में हमें पेशा, आय, उम्र, वर्ग, एरिया, आदि के चयन की सुविधा होती है जिसके अनुसार हम खास खास वर्ग के अनुसार प्रचार सामग्री तैयार कर उसे टारगेट करने में सक्षम होते हैं।

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing)) के प्रमुख तरीके क्या  है? (Source)

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के मुख्य तरीके या माध्यम  निम्नलिखित है

इसे भी पढे              ट्रेडिशनल मार्केटिंग कैसे करें?

लोकल अखबार, मैगज़िन में विज्ञापन द्वारा

प्रेस रीलीज द्वारा :

होर्डिंग , बैनर लगवाकर:

बिजनेस कार्ड, पैम्प्लेट, ब्रोशर बंटवाकर

शहर के किसी प्रोग्राम को स्पोंसर कर

ऑफर, डिस्काउंट, सेल आदि को लॉन्च कर

लक्की ड्रॉ की योजना निकालकर

फीड्बैक सिस्टम लागू कर

इवेंट , सेमिनारका अथवा  एडुकेशनल शो का आयोजन कर

रेफेरल द्वारा

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के क्या उद्देश्य है?

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) का उद्देश्य विभिन्न माध्यमों यथा अखबारो मे विज्ञापन , बैनर, पोस्टर, स्क्रीन डिस्प्ले, अखबार वेन्डरो द्वारा पैम्प्लेट, बिल्लस, ब्रोसर से वस्तुओं व सेवाओं के बारे में बताकर लोगों के व्यवहार और विचार को प्रभावित करना ताकि ग्राहको में उस वस्तु अथवा सेवाओं के प्रति जरूरत की भावना उत्पन्न हो जाये ।

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के क्या लाभ हैं,  (Advantages of Traditional Marketing इन हिंदी)

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के द्वारा आप अपने स्थानीय दर्शकों तक रिलेशनशिप मार्केटिंग होती है और व्यक्तिगत विपणन होती है। इसमें भावनात्मक जुडाव ज्यादा होता है।टार्गेटेड ग्राहक अपेक्षाकृत अधिक व्यक्तिगत महसूस करते है।

प्रचार सामग्री अधिक  टिकाउ होता है। इसका प्रभाव लम्बे समय तक रहता है।

संदेश में सरलता होती है जिसे ग्राहक सरलता से जल्दी  स्वीकार करते हैं।

छोटे व्यवसायियों व उसके ग्राहक समूह द्वारा पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) माध्यम को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं।

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) के क्या नुकसान हैं? (Disadvantages of Traditional Marketing इन हिंदी)

यह खर्चीला होता है और अधिक श्रम की भी आवश्यकता होती है।

प्रचार का प्रभाव देरी से मिलता है।

एरिआ कवरेज में लिमिटेशन जिससे बडे ग्राहक समूह तक पहुंच बना मुश्किल होता है।

संचार एक तरफा होता है और ग्राहक प्रतिक्रिया ( फीडबैक  सिस्टम) नही होता है जिससे प्रचार के प्रभाव व होने वाले लाभ का पूर्व आकलन कर पान सम्भव नही हो पाता है।

प्रचार सामग्री या प्रक्रिया अथवा  उत्पाद में परिवर्तन के लिये पूरी प्रोसेस एवम व्यय फिर से करना पडता है।

पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) व डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) में कौन सा तरीका अपनाना चाहिये?

बहुत से मार्केटिंग विशेषज्ञ डिजिटल मार्केटिंग की अच्छाईयों से प्रभावित होकर डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) को ज्यादा वरीयता देते हैं। परंतु प्रचार के  तरीकों  का चयन व्यवसाय कि प्रकृति, ग्राहक समूह, सेवा प्रदाता की तकनीकी कुशलता, डिजिटल माध्यमो की उप्लब्धता, इंटरनेट की पहुंच आदि बहुत सारे कारक है जो महत्वपूर्ण है और तरीकों का चयन का निर्धारण करता है।

आज भी भारत की अधिकांश जनसंख्या इंटरनेट पहुंच से परे हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करते हैं। आँकड़े बताते हैं कि आज भी एक चौथाई आबादी के पास ही स्मार्ट फोन है। बांकी या तो वार्तालाप के संचार माध्यमों के लिये फोन का उपयोग करते हैं या उनके पास फोन की सुविधा नहीं है। ऐसे में खास ग्राहको के लिये पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।साथ में नये युवाओं को आकर्षित करने के लिये डिजिटल मीडिया ज्यादा प्रभावी होती है। अतः अपने बजट के हिसाब से पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) और  डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के बेहतर संयोजन से प्रचार करना एक बेहद प्रभावी तरीका है।

 

निष्कर्ष :

ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग में क्या अंतर है?, । Traditional Marketing Vs Digital Marketing In Hindi के इस लेख के माध्यम से हमने जाना कि डिजिटल मार्केटिंग  की महत्ता को झुठलाया नहीं जा सकता है परंतु भारत जैसे देश में जहाँ की अधिकांश जनसंख्या गाँवों मे बसती है, और इंटरनेट मोबाइल कम्प्युटर  जैसी आधुनिक  डिजिटल सुविधा से  आज भी  अधिकांश समूह दूर है, पारम्म्परिक प्रचार (Traditional Marketing} माध्यम को ही प्रचार के के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कम पढ़ें लिखे लोगो के लिये प्रचार का यह तरीका काफी प्रभावी भी होता है।

ऐसे में यह आवश्यक हो जाता हम अपने प्रचार माध्यमों का  चयन करते समय पारंपरिक प्रचार (Traditional Marketing) और  डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing) के बेहतर संयोजन कर अपने बिजनेस का प्रचार करें ताकि मार्केटिंग का वास्त्विक उद्देश्य पूरा हो सके।

Thanks Card
Dhanyavad

FAQs

Q ट्रेडिशनल मार्केटिंग के क्या माध्यम है?

ट्रेडिशनल मार्केटिंग के माध्यम में रेडिओ टेलीविजन, होर्डिंग , बैनर, बिजनेस कार्ड, पैम्प्लेट, ब्रोशर ऑफर, डिस्काउंट, सेल , इवेंट , सेमिनार, फीड्बैक सिस्टम आदि का उपयोग किया जाता है।

Q ट्रेडिशनल मार्केटिंग के उदाहरण क्या है?

होर्डिंग , बैनर, बिजनेस कार्ड, पैम्प्लेट, ब्रोशर, ऑफर, डिस्काउंट, सेल , इवेंट , सेमिनार, फीड्बैक सिस्टम, मीटिंग आदि ट्रेडिशनल मार्केटिंग के उदाहरण हैं।

Q सेल और मार्केटिंग में क्या अंतर है?

सेल किसी वस्तु अथवा सेवा को मूल्य के बदले दिया जाना सेल होता है।सेल किसी बिजनेस कई अस्तित्व के लिये महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। मार्केटिंग किसी वस्तु अथवा सेवा की जानकारी को सही औडियंस तक पहुचाना ताकि उनमें उस सेवा अथवा वस्तु प्रति आवश्यकता उत्पन्न हो जाय। सेल में सम्बंध की अपेक्षा नहीं होती है जबकि मार्केटिंग में लम्बे समय तक सम्बंध की अपेक्षा की जाती है।

Leave a comment